सब थे खफा तो निभाया तुमने..
हालात हैं अब ठीक तो भुलाया तुमने ..
सुनेगा जो वो यही कहेगा अब..
क्यों पत्थर शीशे पर गिराया तुमने..
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जानती हूँ तुम्हे गुस्सा तो आया होगा
कुछ देर बाद दिल को करार आया होगा
जब सोचा होगा मन में तस्सली से तो
मेरे गुस्से पर भी तुम्हे प्यार आया होगा
( अनजान )
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2 comments:
Aaccha likhtee hain aap...keep going...strong...!!
Aap ki soonch hhi aap ko uunchiayoo tuk le jatti hai...
Unnh Unchaiyyyon koo bhi aur uunchaa, aap ki Drind ekksha banatii hai....
Ishwar saidaiv aap ke sath hoo!
simply superb!
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