चाँद तारों की आज फिर याद आ गयी
बात जब कोई दिल पर लगी
बातें पुरानी याद आ गयी
चाँद को चाहे मनो कितना भी अपना..
साथ वो छोड़ कर जायेगा ही
तारे जिन पर कभी ध्यान नहीं दिया
साथ उन्होंने ने ही हरदम निभाया
माना चाँद की रोशनी है बहुत
लेकिन घटता बढ़ता रहता है
और एक दिन अकेला आपको छोड़ कर
अंधकार में, गम कंही हो जाता है
आकंशाये जिससे अधिक होती है
साथ वही छोड़ कर चले जाते हैं...
और ऐसे में ही नज़रंदाज़ किये हुए लोग
तारे बन कर साथ निभा जाते है
परन्तु रोशनी का आकर्षण हमें अँधा कर देता है
तारों से दूर हमें चाँद कर देता है
परन्तु अमावस में जब हम अकेले होते है
तारे ही साथ निभाते हैं
और यह जान कर हम
चाँद का साथ छोड़ कर
तारे के साथ घर बसते हैं...
बात जब कोई दिल पर लगी
बातें पुरानी याद आ गयी
चाँद को चाहे मनो कितना भी अपना..
साथ वो छोड़ कर जायेगा ही
तारे जिन पर कभी ध्यान नहीं दिया
साथ उन्होंने ने ही हरदम निभाया
माना चाँद की रोशनी है बहुत
लेकिन घटता बढ़ता रहता है
और एक दिन अकेला आपको छोड़ कर
अंधकार में, गम कंही हो जाता है
आकंशाये जिससे अधिक होती है
साथ वही छोड़ कर चले जाते हैं...
और ऐसे में ही नज़रंदाज़ किये हुए लोग
तारे बन कर साथ निभा जाते है
परन्तु रोशनी का आकर्षण हमें अँधा कर देता है
तारों से दूर हमें चाँद कर देता है
परन्तु अमावस में जब हम अकेले होते है
तारे ही साथ निभाते हैं
और यह जान कर हम
चाँद का साथ छोड़ कर
तारे के साथ घर बसते हैं...
(Sahityika)
यंहा चाँद की उपमा किसी "व्यक्ति विशेष " के लिए है जिसे पाने कि चाहत हर कोई करता है परन्तु जब साथ छूटता है, अँधेरी रात में तारे बने आपके आसपास के लोग ही रोशनी दिखाते हैं तारे, चाँद की तरह घटते बढ़ते नहीं इसी तरह तारे बने लोगो का प्यार आपके लिए हमेशा उतना ही रहता है.. चाँद की तरह घटता बढ़ता नहीं
4 comments:
Bahut achi rachna ha...bahut-2badhai...
badhiya hai.
nice yaar
shandar
आकांक्षाएं जिससे अधिक होती है
साथ वही छोड़ कर चले जाते हैं.......
बस इक यही बात मैंने आपकी पकड़ ली है..........और पकड़ कर रखे हुए हूँ....... आप आकर इसे छुडा लें..........सन्दर्भ तो चाँद का ही है ना.........एक दिन के लिए जाने वाले को बेवफा नहीं कहते.......बता कर जाने वाले को लापता नहीं कहते........जिसके जाने का नियत समय मालूम हो....उसके लिए गमगुसारी करने से क्या होगा...........और जो बात बिल्कुल ही लाजिमी है,रायशुमारी करने से क्या होगा.....दूर वाले तो सदा ही लोगों को अपने लगते हैं..........हाय पास वाले उन्हें कितने निकम्मे लगते हैं....चाँद क्या है,आदमी का मन.घटता बढ़ता रहता है....अरे,सामने वाले के दिल को ये परखता रहता है....इसके घटने और बढ़ने का ओ तुम लोगों ख्याल मत करो.....जो तय ही,उसके लिए ख्वामखां ही बवाल मत करो........ तारें हैं हज़ार मगर दिल को यूँ कोई भा ना पायेगा....एक बस चाँद ज़ख्मों पर मरहम लगा कर जायेगा.........!!
Post a Comment