कवि और उसके जीवन का सार
अंत हीन वेदना का आधार
चलता जाता है एक मुसाफिर की तरह
इस संसार से उस संसार.
बेखबर दुनिया की रस्मो से
छली कपटी उन झूटी कसमो से
बहती है, बनती है , तपती है
हर्षोल्लासित सुन्दर सपनो से.
उठती है धरा से अम्बर तक
कवि के हृदय से जन जन तक
फ़ैल जाती है संपूर्ण सत्ता में
और पहुच जाती है छणभंगुरता से अमरता तक.
पहुचाती है सन्देश प्रीत का
बन कर छंद गीत का
और याद दिलाती है
अपने सुन्दर, सुखद अतीत का ..
(साहित्यिका)
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