I believe in the imagination. What I cannot see is infinitely more important than what I can see.

Thursday, June 26, 2008

कविता


कवि और उसके जीवन का सार
अंत हीन वेदना का आधार
चलता जाता है एक मुसाफिर की तरह
इस संसार से उस संसार.

बेखबर दुनिया की रस्मो से
छली कपटी उन झूटी कसमो से
बहती है, बनती है , तपती है
हर्षोल्लासित सुन्दर सपनो से.

उठती है धरा से अम्बर तक
कवि के हृदय से जन जन तक
फ़ैल जाती है संपूर्ण सत्ता में
और पहुच जाती है छणभंगुरता से अमरता तक.

पहुचाती है सन्देश प्रीत का
बन कर छंद गीत का
और याद दिलाती है
अपने सुन्दर, सुखद अतीत का ..

(साहित्यिका)

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