लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं.
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं.
मैं न जुगनू हूँ दिया हूँ न कोई तारा हूँ
मैं न जुगनू हूँ दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रौशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यूँ हैं .
नींद से मेरा ताल्लुक ही नहीं बरसों से
नींद से मेरा ताल्लुक ही नहीं बरसों से
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं.
3 comments:
bhut khub. jari rhe.
SHAYAD YAH DUNIYA KI SABASE BADA SAWAL HAI...
jiski rachnaa hai....uskaa naam dena hi acchi baat hoti hai...!!
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