दिल चाहे कोई ऐसा
हो मेरा, मेरे अपनों जैसा
गले लग कर जिसके
मैं रो सकूँ
बाँहों के झूले में जिसके
सुकून कि नींद मैं सो सकूं
एक पल , एक क्षण
जब तुम थे मेरे पास
पाया है मैंने ये एहसास
मगर अब चाहत और बढ़ गयी है
तुम्हे पाने की तृष्णा और चढ़ गयी है
वह तुम्ही हो क्या
जो मेरे सपनो में आते हो
और कभी कभी हकीकत में आ कर
अपने सच होने का अहसास कराते हो
फिर भी दिल ये क्यों जान नहीं पाता
वो तुम ही हो ये मान नहीं पाता
कोई तो तरीका बतलाओ मुझे
ये तुम ही हो ये जतलाओ मुझे
बिना कुछ कहे सब समझ जाऊँ
ऐसा हरदम हो नहीं सकता
कब कहोगे तुम कुछ ऐसा
जो होगा मेरा, मेरा अपनों जैसा ...
हो मेरा, मेरे अपनों जैसा
गले लग कर जिसके
मैं रो सकूँ
बाँहों के झूले में जिसके
सुकून कि नींद मैं सो सकूं
एक पल , एक क्षण
जब तुम थे मेरे पास
पाया है मैंने ये एहसास
मगर अब चाहत और बढ़ गयी है
तुम्हे पाने की तृष्णा और चढ़ गयी है
वह तुम्ही हो क्या
जो मेरे सपनो में आते हो
और कभी कभी हकीकत में आ कर
अपने सच होने का अहसास कराते हो
फिर भी दिल ये क्यों जान नहीं पाता
वो तुम ही हो ये मान नहीं पाता
कोई तो तरीका बतलाओ मुझे
ये तुम ही हो ये जतलाओ मुझे
बिना कुछ कहे सब समझ जाऊँ
ऐसा हरदम हो नहीं सकता
कब कहोगे तुम कुछ ऐसा
जो होगा मेरा, मेरा अपनों जैसा ...
(साहित्यिका)
4 comments:
apki sapno ki duniya main aana ek sukhad anubhav raha...
accha laga padhkar..
aapki ye dunia kafi romanchak hai. yahan aakar achcha laga.
sudhir raghav
very well
bahut khoob likha he ... nice write
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