हलचल क्यों है इस जीवन में
भूत, भविष्य, वर्तमान से पूछा
भूत कहता भूलो मुझको
फिर भी मन वहीँ क्यों अटका रहता
वर्तमान का गान सुनो
जो कहता हरदम "जी लो" मुझको
पर अनसुनी उसकी बातें करके
भविष्य का पीछा हम हरदम करते
परिवर्तन भी परिवर्तनशील है
फिर स्थिरता कैसे आएगी?
मन में विचारों की आंधी
दर्द , प्रेम, आनंद सब साथ लाएगी
कितनी भी परिभाषाएं बदले
भाषा भी कुछ ना कर पाएगी
आनंद , प्रेम तो स्वयं में छिपा है
दूजो में कैसे तू पा पायेगी?
वर्तमान को जिए बिना
भविष्य में कैसे तू जा पायेगी??
भूत, भविष्य, वर्तमान से पूछा
भूत कहता भूलो मुझको
फिर भी मन वहीँ क्यों अटका रहता
वर्तमान का गान सुनो
जो कहता हरदम "जी लो" मुझको
पर अनसुनी उसकी बातें करके
भविष्य का पीछा हम हरदम करते
परिवर्तन भी परिवर्तनशील है
फिर स्थिरता कैसे आएगी?
मन में विचारों की आंधी
दर्द , प्रेम, आनंद सब साथ लाएगी
कितनी भी परिभाषाएं बदले
भाषा भी कुछ ना कर पाएगी
आनंद , प्रेम तो स्वयं में छिपा है
दूजो में कैसे तू पा पायेगी?
वर्तमान को जिए बिना
भविष्य में कैसे तू जा पायेगी??
2 comments:
vartman ko jiye bina.......bhavishya mein kaise tu ja payegaa....
Sahi kaha hai aapne.....ati sunder
Badhai....
***FANTASTIC
PLEASE VISIT MY BLOG...........
"HEY PRABHU YEH TERAPANTH "
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