I believe in the imagination. What I cannot see is infinitely more important than what I can see.

Sunday, November 9, 2008

तो शायद भूल जाऊ तुम्हें..

फिर कोई अपनी सी आवाज़ से बुलाये मुझे
तो शायद भूल जाऊ तुम्हें..
बिना कुछ कहे बिना नज़र उठाये कोई सताए मुझे
तो शायद भूल जाऊ तुम्हें..
नादानियाँ छोड़ सयाने हो जाओ कोई बताये मुझे
तो शायद भूल जाऊ तुम्हें..
तुम्हारी यादों से बेबस हूँ
ऐसी ही बेबसी कोई दे जाए मुझे
तो शायद भूल जाऊ तुम्हें..

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