I believe in the imagination. What I cannot see is infinitely more important than what I can see.

Sunday, November 9, 2008

भाव

मन में हरदम भाव वही होते हैं
बस व्यक्त करते वक्त शब्द बदल जाते हैं
दिल में तो बसता सभी के है एक ही खुदा
बस जबान पर आते आते उसके नाम बदल जाते हैं

शब्दों के जाल में उलझ कर हम
भावों की अभिव्यक्ति भूल जाते हैं
मौन, संकेत, और प्रेम कि भाषा भूल
द्वेष, अपमान और द्वंद में लिप्त हो जाते हैं..

1 comment:

Anonymous said...

rightly said

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