I believe in the imagination. What I cannot see is infinitely more important than what I can see.

Tuesday, March 10, 2009

एक चुटकी रंग


एक चुटकी रंग लगना , अपने ही गालों पर

अभी दूर हूँ, कभी आऊँगी

वह रंग की चुटकी, याद दिलाएगी मेरी

अब भी , तब भी, पल पल आने वाले सालों में


एक चुटकी रंग लगना , अपने ही गालों पर

स्नेह भरी मीठी बोली से खुशियाँ भरना रंग आँगन में

आसमा को इन्द्र धनुष बना दो अपने अंतस की होली से

बस एक चुटकी रंग लगा मुझको भी अपनेपन की नाज़ुक डोरी से


बस एक चुटकी रंग बचाना अपनी प्यारी प्यारी यादों में

अभी दूर हूँ, कभी आऊँगी॥

8 comments:

"अर्श" said...

आपको तथा सारे परिवार को इस पर्व की ढेरों बधाईयां।

Lucifer said...

happy holi :)

vandana gupta said...

BAHUT BADHIYA
HAPPY HOLI

Anonymous said...

good one
happy holi

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह.. आपका तो ब्लाग भी रंगीन है.. होली की बधाई..

हरकीरत ' हीर' said...

बस एक चुटकी रंग लगा मुझको भी अपनेपन की नाज़ुक डोरी से
बस एक चुटकी रंग बचाना अपनी प्यारी प्यारी यादों में अभी दूर हूँ, कभी आऊँगी॥

ek chutki kyon ji ham to sare rang lgayege....HOLI KI SUBHKAMNAYEN...!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

एक बात बताऊँ.........साहित्यिका जी....!!??............ये कविता मुझे रंग पर्व होली पर लिखी गयी सबसे मासूम...सबसे अच्छी और सबसे बेहतरीन लगी.....सच...मैं झूठ नहीं बोलता....!!मेरी जबरदस्त बधाई....और-और-और अच्छा लिखो आप....ऐसी शुभकामनाओं के संग.....ये अनजान भूतनाथ.....!!

SAHITYIKA said...

dhanyawad bhootnath ji..

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin