I believe in the imagination. What I cannot see is infinitely more important than what I can see.

Wednesday, May 27, 2009

अनजान मुलाकात - अन्तिम भाग

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1 बजे नींद खुली। ट्रेन किसी स्टेशन पर खड़ी थी। वह अब भी बात कर रहा था। कह रहा था " कल सुबह जाना नही है क्या? कितना पढ़ लिया?? अच्छे से पढो।" मेरा मन फिर हुआ कि पूछूँ " क्या आप लखनऊ से है?" लेकिन उसने पूछा " क्यों? " तो क्या जवाब दूंगी। यह सोच कर रुक गई। 5:30 AM हो गए थे। थोडी ही देर में भोपाल आने वाला था। मैं नीचे उतर आई। अब वह फ़ोन पर कह रहा था " शायद भोपाल आने वाला है। मैं जहा रुकूँगा, वह स्मोकिंग नही कर पाउँगा। मालूम नही ये 2-3 दिन कैसे काटेंगे। " मुझे उसकी बात सुन कर हँसी आ गई।
कुछ देर बाद सब उठ कर दरवाजे की ओर जाने लगे। स्टेशन बस कुछ ही मिनट दूर था। फिर से मन में वही बात आई , पूछ लूँ क्या?? पूछ लुंगी तो क्या फरक पढेगा? नही पूछूंगी तो लगता रहेगा कि काश पूछ लेती। आख़िरकार उसने अपनी फ़ोन वाली से बाय बाय की ओर खड़ा हो गया। मुझसे पूछा " भोपाल आ गया क्या?? " मैंने कहा "हाँ" । वह मेरे ही पीछे खड़ा था। अंततः मैंने पूछ ही लिया " आप लखनऊ से है क्या?" उसने कहा " हाँ , लेकिन आपको कैसे पता चला??" मैंने कहा " बस आपकी कुछ बातें सुनी और आपकी बातें करने के तरीके से मुझे ऐसा लगा। वैसे मेरा एक दोस्त लखनऊ का ही है। " इतने मैं स्टेशन आ गया और हम नीचे उतर गए।
नीचे उतरने पर वह बोला " मैंने ट्रेन में आपको रोते हुए देखा था। मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि आंसू बहुत कीमती होते हैं, इन्हे यूँ ही किसी के लिए मत बहाया करिए। always keep smiling। "
इतने में मुझे पापा दिख गए और मैं उनके पास चली गई। खुशी मेरे चेहरे से छलक रही थी। पापा ने पूछा " क्या हुआ बेटा ? बहुत खुश हो? " अब मैं क्या कहती । मैं बोली " पापा मैं पुणे अकेले हो आई न इसीलिए। " अब इसके आलावा कहती भी क्या?? कि एक लड़का मिला जो कि लखनऊ का था। मैंने उससे पूछा और उसने हाँ कहा। मैं इसीलिए खुश हूँ। पर जो भी था एक अनजान व्यक्ति और उसकी अनजान बातें। फिर भी वह कितना जाना पहचाना लगा। अब भी यही सोचती हूँ। कहीं राह चलते फिर से कंही वो मिल जाये तो अब की बार क्या पूछूंगी??

14 comments:

Unknown said...

kuchh log aur kuchh khas pal kabhi bhulaye nahin ja sakte, bhulane bhi nahin chahiye....kyonki hamare vajood me inki mahak barqrar rakhne se zindgi tarotaza bani rahti hai............
aapne ek khoobsoorat mulaqat ko sanjoya hai ,,,,aap badhai ki patra hain
AALEKH BAHUT ACHHA LAGA
jai ho

Sneha Shrivastava said...

I hope ki wo lucknow wala fir mil jaey may be wapas jatey waqat.:)

SAHITYIKA said...

@ albela khatri ji
dhanyawad albela ji..
aapko meri rachana pasand aayi..
ji mai ise kabhi nahi bhoolungi.. :)

SAHITYIKA said...

@ sneha..
hey.. thanx for wishes..
but mai usase nahi .. use dekh kar jiski yaad aayi thi .. usase dubara jaroor milna chahungi.. :D

Sifar said...

Nice one....hopes you'll get that guy someday.

keep going......do you know y? Since journey is more important than destination.....just kidding.

Anyway, well done.

satish kundan said...

ये मैंने आपकी दूसरी पोस्ट पढ़ी...सच कहता हूँ फिर से खो गया था मैं..एक ही बार में तीनो पोस्ट पढ़ गया...
एक बात कहूँ...''अगर आप किसी को टूट कर चाहते हों तो मेरा मानना है आप हर इन्शान में उसके अक्श को ढूढते हो''

PULKIT said...

U never know about life... that person from lucknow might bump up again in ur life at some other corner :)


and yeah
thanks for the touchin comments that U gave on my blog dear!
M really thankful to u! :)
handshake of friendship!
Ur a very good human being...
thanks for every word that u said!

in search of ...... said...

well it lives u with a feeling of incomlpeteness....its like seems they liked each othr...even if they were seeing some1 they cud be good friends....the guy was the same os of gal coz he was also havin her in mind all the time n was thinkin abt the same as to ask her y she was cryin....so its just tht wht ever u feel like doin ....do it at tht time....coz thinkin n being shy at tht moment is surely not gona help
i had a similar flight experience at an international airport....we both were lookin at each other n smiling but i didnt went n said hii to her....in the end she came n said hi to me..n its been like 4 yrs now we r living in different countries never met again but r still in touch n she is a very good friend of mine.....n m glad tht she came....

SAHITYIKA said...

@sifar..
thnx for ur wishes..

keep visiting.. :)

SAHITYIKA said...

@satish kundan
thanx satish.. that u liked my post so much..
by d way.. u r right.. when we r in love.. hme har jagah wahi dikhai deta hai.. ha ha ha

by d way.. keep visiting.. :)

SAHITYIKA said...

@ pulkit
hey... may be i will meet him again.. but who knws when..:D
by d way.. no need of thanx..
u said we are frnds naa.. thn no need of thanx.. jus keep smiling.. :)

SAHITYIKA said...

@in search of...
hey u said right.. n i m really glad to knw that u got a frnd in this kind of situation.. but u knw.. i was watching him.. may be he was watching me.. but he was so busy talking on phone how could i talked him .. n it was night ..so achhca bhi nahi lagta.. :D
by d way. no probs.. next time tumhari advise jarur yaad rakhungi..he he he ..

गौतम राजऋषि said...

आज फुरसत से बैठा हूँ आपके ब्लौग पर और पहला ही पोस्ट जो पढ़ा तो आपकी लेखनी का जादू ले डूबा है...
अनजान मुलाकात की तीनों किश्त बहुत ही दिलचस्प हैं...
अब उस आँसु वाले दोस्त के बारे में पढ़ने की उत्सुकता बढ़ गयी है..

Anonymous said...

really good
always smile
smile is the life

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